
2010 में इस्राइल के सख्त सर्विलेंस के कारण आतंकी संगठनों द्वारा इसका पहला प्रयोग किया था।
3 अक्टूबर को उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र टेनी ने अपनी महिंद्रा कम्पनी के थार गाड़ी से कुचल कर पांच लोगों की हत्या करता है। इस हमले में दर्जन भर से ज्यादा लोग घायल हुए हैं जिनमे कुछ की हालत अभी काफी गंभीर है।
वैश्विक संदर्भ में इस हमले का वास्तविक प्रारूप
विश्व भर में इस तरह के हमलों को आतंकवाद से जोड़ कर देखा जाता है। 2010 में इस्राइल के सख्त सर्विलेंस के कारण जब आतंकी सफल नहीं हो पा रहे थे तब फिलिस्तीन समर्थित आतंकी संगठनों द्वारा इस Vehicle Ramming तरीके का ईजाद किया गया था। बोलचाल की भाषा में कहा जाता है की दुनिया का हर आतंकवादी संगठन एक दूसरे के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले प्रभावी तरीकों को तुरंत अपनाते हैं। इस्राइल में शुरू हुए इस तरह के हमले धीरे धीरे फैलती चली गई। आज विश्व के ताकतवर देशों के सामने ऐसे हमले का पूर्वानुमान कर रोक पाना बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है।
आतंकी हमलों में कारगर कैसे?
किसी आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए संसाधनों का होना जरूरी अवयव है। ट्रेनिंग देकर आतंकी तैयार करने में काफी समय भी देना पड़ता है। इसके उलट, गाड़ी से कुचलने के हमले को अंजाम देने के लिए कोई विशेष ट्रेनिंग देने की जरूरत नहीं होती है। इसमें आधुनिक हथियारों से लैस भी नहीं करना पड़ता है और कोई अकेला व्यक्ति भी आसानी से हमला कर सकता है।
अब तक का सबसे बड़ा हमला फ्रांस में किया गया था जहां बेसिल डे मना रहे लोगों को एक ISIS के आतंकी द्वारा ट्रक से कुचल दिया गया था। इस हमले में 79 लोगों की जानें गई और हजारों लोग घायल हुए। इस तरह के हमले टोरंटो, लंदन, पेरिस, बार्सिलोना, न्यू यॉर्क, बर्लिन आदि देशों में भी किए गए। इन हमलों में अब तक हजारों लोगों की जान चली गई है।

दक्षिणपंथी चरमपंथियों का नया हथियार
अब तक दुनिया में केवल आतंकी संगठनों ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया करते थे लेकिन पिछले कुछ सालों में दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने इसे हथियार बना लिया है। काउंटर एक्सट्रेमिज्म प्रोजेक्ट संस्थान के अनुसार 2016 से प्रदर्शनकारियों पर गाड़ी से हमले की घटनाओं में काफी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। मई 2020 से सितंबर 2020 के बीच कुल 104 हमले हुए हैं। पिछले साल अमेरिका के बहुचर्चित जॉर्ज फ्लॉयड हत्याकांड से ‘ब्लैक लाइव मैटर्स’ आंदोलन शुरू हुआ था। यह आंदोलन गोरे लोगों द्वारा काले लोगों के साथ होने वाले नस्लीय भेदभाव के खिलाफ था। बताया जाता है की केवल मई 2020 में प्रदर्शनकारियों पर White सुप्रेमिस्ट दक्षिणपंथी द्वारा 50 से ज्यादा हमला किया गया था।
हालांकि अमेरिकी लोगों को व्हीकल अटैक क्या होता है इसके बारे में 2017 Charlottesville हमले से मालूम हो गया था। जब White supremist के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हीथर हायर को दक्षिणपंथी चरमपंथी द्वारा ट्रक से कुचल कर हत्या कर दिया गया था, इस हमले में दर्जनों घायल भी हुए थे।
लखीमपुर खीरी दक्षिणपंथी चरमपंथियों का वैश्विक टैक्टिक

लखीमपुर खीरी में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ी से कुचलने घटना प्रथम दृष्टया विश्व के अन्य देशों में हुए आतंकी हमले जैसा ही मालूम होता है। 3 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था। हालांकि टेनी द्वारा आए दिन किसान आंदोलन के खिलाफ अनर्गल बयान दिए जा रहे थे और जान बूझ कर भड़काऊ भाषण दे रहे थे। यह जानते हुए कि यूपी में किसान आंदोलन का सबसे मजबूत गढ़ लखीमपुर खीरी है। जाहिर था की ऐसे बयानबाजी के वजह से कार्यक्रम का विरोध होना तय था और हुआ भी। प्रदर्शन के कारण उपमुख्यमंत्री को कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। समाप्ति की घोषणा होने के बाद विरोध में गए किसान वापस घरों को लौट रहे थे। उसके बाद का वीडियो सबने देखा ही होगा, कैसे महिंद्रा थार से किसानों को कुचलते हुए गाड़ी बढ़ता है।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार की भूमिका

हमले की जानकारी मिलते ही देश के सभी राज्यों में किसान और मजदूर संगठनों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाता है। 24 घंटे के अंदर लगभग पच्चीस हजार किसान अन्य इलाकों से लखीमपुर खीरी में जमा हो गए थे। लेकिन न प्रधानमंत्री मोदी और न मुख्यमंत्री योगी द्वारा मामले को लेकर संवेदना व्यक्त की गई। आमतौर पर हर विषय पर ट्वीट करने वाले इतने जघन्य कृत्य पर खामोश कैसे हैं? क्या यह उनकी मौन स्वीकृति है? मुख्यमंत्री योगी द्वारा जिस तरह के हिंसक बयान दिए जाते रहे हैं वह भी एक महत्वपूर्ण कारक है इस तरह की घटना के पीछे। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री खुले आम सिविल वॉर भड़काते देखे जा रहे हैं। शासन की हिंसक भाषा का प्रतिफल है। इस मामले पर एफआईआर दर्ज हुए तीन दिन से ज्यादा हो चुका है पर अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी तो दूर पीएम मोदी के मंत्रिमंडल से निष्कासित तक नहीं किया गया है। क्या यह कोई संकेत हैं?
किसान आंदोलन को 10 महीने पूरे हो चुके है। अब तक 600 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। लेकिन लगता है जैसे सरकार को इस जनता ने नहीं किसी उद्योगपति ने चुना है। लेकिन किसान भी अब बिना तीनों कृषि कानून रद्द करवाए वापस नहीं होने वाले।
तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था
(हबीब जालिब)
उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था