उमर खालिद के प्रति देश के बहुसंख्यक समाज का नजरिया कभी बदलेगा? उस फर्जी वीडियो का सच मार्च 2016 को सामने आने के बावजूद भी भाजपा और गोदी मीडिया ने सच सामने क्यों नहीं रखा, क्या यह सवाल पूछ पाने की हिम्मत है किसी में? अगर नहीं है तो धिक्कार है आप पर! आप हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई में कितने अंधे हो चुके हैं न!

दिल्ली दंगों में सरकार की संलिप्तता सामने आते देख आईटी सेल प्रमुख अमित गोएबेल्स मालवीय 2 मार्च को एक 30 सेकेंड का वीडियो ट्वीट करता है। ये वीडियो नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन के दौरान अमरावती में उमर खालिद के दिए गए 17 मिनट के भाषण से लिया गया था।
इस 17 मिनट के भाषण में वो गांधी के दिखाए रास्ते पर चलते हुए सत्याग्रह और सिविल नाफरमानी की बात करते सुने जा रहे हैं। मगर भाजपा और उसके प्रोपगंडा मशीनरी को सच से क्या लेना देना! उसे तो केवल वह 30 सेकेंड चाहिए जो प्रोपगंडा में काम दे।
जिस प्रकार गोदी मीडिया और भाजपा उसके लिए टुकड़े टुकड़े गैंग, देशद्रोही, आतंकवादी जैसे विशेषणों का प्रयोग करता है उसी का परिणाम था जब लुटियंस दिल्ली जैसे सुरक्षित क्षेत्र में उसकी हत्या करने की कोशिश होती है।
आज उमर खालिद दुबारा जेल में है ऐसे में मुझे फरवरी 2016 का वह वाकया याद आता है जब एक फर्जी वीडियो जी न्यूज जैसे फर्जी चैनल में चलाया जाता है और उस फर्जी वीडियो के आधार पर इन्हें जेल जाना पड़ा।
वह दिन से लेकर अब तक मोदी जी के पालतू गोदी मीडिया और नेताओं ने टुकड़े टुकड़े गैंग, आतंकवादी, नक्सली सब बना दिया जिसे जान कर किसी आम माध्यम वर्गीय को डर जाना चाहिए था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तो बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर किसी अतंकवादी संगठन से जुड़े होने की बात बताता है।

लेकिन क्या कभी गोदी मीडिया और भाजपा नेताओं ने कभी बताया कि उस फर्जी वीडियो के पीछे स्मृति ईरानी की खासम खास शिल्पी तिवारी का हाथ था? रोहित हत्या मामले से बचाने के लिए प्लांट किया गया था! उस वीडियो के फर्जी होने का सत्यापन मार्च 2016 को हो चुका था।
जब हम 2016 की घटना पर बात करते हैं तो इस पूरे प्रकरण के पीछे के वाकया को भी याद करना उतना ही जरूरी है कि किस प्रकार तत्कालीन शिक्षा मंत्री को बचाने के लिए देश के सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थान और उसके तीन बेहतरीन छात्रों को सूली पर चढ़ाया गया था।

जनवरी 2016 रोहित वेमूला का संस्थानिक हत्या!
उसकी हत्या के पीछे तत्कालीन शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी, श्रम मंत्री बंगारू दत्तात्रेय, स्थानीय भाजपा विधायक रामचंद्र राव की संलिप्तता सामने आती है। मगर मोदी जी के कृपा से किसी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई जिससे आक्रोशित होकर देश भर में छात्र सड़कों पर उतर पड़े।
छात्रों के इस मुद्दे पे सरकार खुद को घिरता देख स्मृति ईरानी को छोड़ बाँकी लोगों पर एससी एसटी एक्ट, आत्महत्या के लिए उकसाने आदि आरोप में साइबराबाद पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज होता है।
पीएम नरेंद्र मोदी को खुद के नए विकास पुरुष वाले ब्रांड पर लगे दाग को धोना जरूरी हो गया ” मेरे ही देश के एक जवान बेटे को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा, मां भारती ने एक लाल खोया है” मगर मां भारती के लाल को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों में शामिल मुख्य आरोपी स्मृति ईरानी पर कार्यवाही नहीं किया गया।
सत्ता के घमंड में चूर तभी के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बयान देता है ” यह यूपीए नहीं नरेंद्र मोदी का भाजपा सरकार है यहां इस्तीफे नहीं होते”
इस बीच फरवरी 2016 को जेएनयू के उस तथाकथित देशविरोधी नारे लगाने के इल्जाम में उमर, अनिर्बान, कन्हैया गिरफ्तार होते हैं और गोदी मीडिया एक नया राष्ट्रवादी लॉलीपॉप थमा देता है।
यह एक तीर से कई शिकार जैसा मामला था, स्मृति ईरानी से इस्तीफे का दबाव कम हुआ, रोहित के मामले से लोगों का ध्यान हटाने में सफल हुए और जेएनयू को देशद्रोही का अड्डा साबित कर दिया।
उमर अब दुबारा जेल में है और इस बार सरकार का कहना है कि वह दंगे भड़काने वाले भाषण के वजह से लोगों की हत्या हुई है। इस देश के जनता को नरेंद्र मोदी और उसके चेलों ने बेवकूफ समझ लिया है, उन्हें पता है कि यह जनता हिन्दू मुस्लिम में उलझ कर सावल नहीं पूछ रहा।
क्या ये मोदी जी का समर्थन करने वालों का अपमान नहीं है?