
इससे पहले कि हुजूर के शान में चार शब्द पेश करने की गुस्ताखी करूं मैं अपने वकील साहब (*प्रशांत भूषण नहीं ) से सुनिश्चित कर लिया है, अब हुजूर के बारे में ट्वीट या पोस्ट करने पर माननीय न्यायलय का अवमानना नहीं समझा जायेगा। चूंकि न्यायलय के प्रति मेरी अटूट आस्था है इसलिए हुजूर से दरख्वास्त है कि आगे कहे जाने वाले शब्दों को कृपया अपने तक ही संबंधित रखने की कृपा करें।
जस्टिस मिश्रा 2014 में सुप्रीम कोर्ट आते हैं, तब से लेकर 2020 तक तीन चीफ जस्टिस के साथ काम करने का अनुभव रहा है और आश्चर्यजनक रूप से उन तीनों के सबसे पसंदीदा बेंच हमेशा जस्टिस मिश्रा रहें हैं। कोई भी ऐसा मुकदमा जो राजनीतिक और बहुत ही संवेदनशील हो उसकी सुनवाई हमेशा जस्टिस मिश्रा के बेंच में होना तय होता था, उनसे वरिष्ठ कई न्यायधीशों को अनदेखा कर ऐसे बेंच गठित किए जाते रहें।
मेडिकल कॉलेज घोटाले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नाम आने पर जस्टिस अरुण मिश्रा बने तारणहार
मेडिकल कॉलेज घोटाले में पैसे के दम पर पक्ष में जजमेंट दिए जाने का मामले सामने आता है जब ओडिशा हाईकोर्ट के एक जज की गिरफ्तारी होती है। जिसके बाद जांच में तभी के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का नाम निकल कर सामने आता है। चूंकि बगैर चीफ जस्टिस से सहमति लिए किसी वर्तमान जज पर एफआईआर दर्ज नहीं किया जा सकता। इसलिए चीफ जस्टिस इस केस के सम्बन्ध में कोई निर्णय ना ले सके के संबंध में एक याचिका दायर किया गया जिसकी सुनवाई दूसरे नंबर के वरिष्ठ जस्टिस चेमलेश्वर तीन जजों के बेंच में करते हैं। जिसके बाद इस केस को पांच जजों के संवैधानिक बेंच में सुने जाने का आदेश दिया गया। मगर इसके अगले ही दिन दीपक मिश्रा सात जूनियर जजों का एक नया बेंच गठित करते हुए उन्हें यह केस दे देते हैं। जिसमें सुनवाई के दौरान जस्टिस चेमलेश्वर के पिछले आदेश को निरस्त कर दिया गया जबकि उस समय जस्टिस मिश्रा वरिष्ठता क्रम में नवें नंबर में थे।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई यौन शोषण मामला
जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगता है तब सबको अचंभित करते हुए आनन फानन एक बेंच गठित करते हुए खुद को उसका पीठासीन जज नियुक्त कर लेते हैं। इस बेंच में उनके अलावा दो और जजों को शामिल किया जाता है – जिनमें से एक जज कोई और नहीं बल्कि अरुण मिश्रा ही निकलते हैं। कोर्ट छुट्टी वाले दिन इसकी सुनवाई होती है। इस केस के पहले कोर्ट में एक प्रथा चली आ रही है कि किसी भी मुकदमे से सम्बन्धित फैसला उस बेंच के पीठासीन जज द्वारा सुनाया जाता रहा है मगर इस केस में यह फैसला जस्टिस मिश्रा द्वारा सुनाया गया। यहां तक कि नियमों को ताक पर रख कर उस ऑर्डर में पीठासीन जज का नाम भी दर्ज नहीं है। इस केस को कवर कर रहे मीडिया को ऐसे फर्जी मुकदमों को छापने में सतर्कता बरतने की सलाह दे डालते हैं।
जनाब ए डेविडसन के शान में वे दो ” ट्वीट “
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण का साहेब ए डेविडसन के तस्वीर और पूर्व चीफ जस्टिस के उपर किए गए ट्वीट के लिए दोषी मानते हुए सजा दे कर एक बार फिर अपने तारणहार की भूमिका में खरे उतरे। साहेब जिस पर सवार थे वह एक भाजपा नेता का पता चलता है, यह तस्वीर पूरे इंटरनेट पर वायरल होता है। अगर वाकई में देखा जाए तो असली अवमानना तो साहेब ए डेविडसन के उपर होना चाहिए था। इससे आहत होकर सुब्रह्मण्यम स्वामी के साथ काम करने वाले मध्य-प्रदेश के ही एक वकील द्वारा उन ट्वीट पर संज्ञान लेने का याचिका दायर किया गया।
याचिका में उन ट्वीट को देश विरोधी नफरत फैलाने के कैंपेन का हिस्सा बताया जाता है। इस याचिका को हटा कर जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा स्वतः संज्ञान लिया गया। हालांकि प्रशांत भूषण द्वारा उस याचिका की कॉपी बार – बार मांगने पर भी नहीं दिया गया इस वजह से उन्होंने न्ययालय के समक्ष दुःख व्यक्त करते हैं।
जिस तेवर के साथ प्रशांत भूषण को दोषी ठहराया गया था एक समय ऐसा लगा जैसे इस बार तो उन्हें जेल भेज के ही रहेंगे। मगर माफी मांगने शर्त रखा गया। इसके लिए तारीख पर तारीख दी जाती रही लेकिन प्रशांत भूषण किसी भी शर्त पर माफी मांगने को तैयार नहीं हुए। आखिर में जस्टिस मिश्रा ने रिटायरमेंट का हवाला देते हुए माफी मांगने का अनुरोध करते हैं। जब सब तरीका अपना कर देख लिए तो अंत में सजा के तौर पर 1₹ का जुर्माना या तीन महीने जेल या तीन साल प्रेक्टिस बन्द में से एक को चुनने को कहा गया। जिसमें प्रशांत भूषण ने 1₹ जुर्माना भरा मगर चीफ जस्टिस एस ए बोडवे से ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगी।
यह 1₹ का जुर्माना तय कर जस्टिस अरुण मिश्रा ने सांकेतिक तौर पर ही सही, माननीय अदालत के गरिमा बनाए रखने में खुद का योगदान बता दिया। मगर जाते हुए उनसे चीफ जस्टिस के तारणहार का तमगा छिन गया, बोडबे साहेब और डेविडसन साहेब दोनों को न्याय नहीं दिलवा सके।
चार सीनियर जज का बहुचर्चित प्रेस कांफ्रेंस : न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब उच्चतम न्यायालय के चार सीनियर जजों को पब्लिक में आना पड़ा। इस विवाद के पीछे भी वजह चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा द्वारा ” मास्टर ऑफ रोस्टर” का ग़लत उपयोग किया जाना था। नेताओं और उद्योगपतियों से संबंधित सभी सुनवाइयों को रहस्यमय ढंग से एक खास बेंच को ही दिया जा रहा था।
यह मामला तब तूल पकड़ा जब सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में सुनवाई कर रहे सीबीआई स्पेशल जज बी एच लोया की मौत के संदिग्ध परिस्थितियों की बात सामने आती है। परिवार के लोगों के सामने कुछ ऐसे सबूत निकल कर आएं जिसमें हत्या की सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता था, इसलिए वे एक स्वतंत्र जांच का निवेदन करने सुप्रीम कोर्ट के पास जाते हैं और हमेशा के तरह यह केस भी पीठासीन जज अरुण मिश्रा के बेंच को चला जाता है, जबकि सीनियरिटी के आधार पर उनके ऊपर 5 जज थे जिस बेंच को केस दिया जाना चाहिए था। यहां भी पहले के तरह ” मास्टर रोस्टर” के अधिकार का लाभ उठाया गया।
बिरला सहारा पेपर्स का जांच
2013 में आदित्य बिरला ग्रुप और सहारा ग्रुप के ठिकानों पर जांच एजेंसियों द्वारा छापेमारी कर कई कागजात, एक्सेल शीट, डायरी आदि बरामद किया गया, इसमें एक डायरी ऐसा पाया गया जिसमें सभी गैरकानूनी पेमेंट का डिटेल दर्ज पाया गया। उसमे 25 करोड़ का एक पेमेंट गुजरात सीएम को दिया गया दर्ज पाया गया जो उस समय नरेन्द्र मोदी थे। इसमें कई फिल्मस्टारों, अधिकारियों के नाम भी सामने आए।
बिरला सहारा पेपर्स के जांच याचिका को खारिज करने के पीछे जो तर्क दिया गया था वह यह कि इस तरह के किसी कागज के आधार पर जांच के आदेश नहीं दिए जा सकते।
इन मामलों के अलावा ऐसे कई व्यवसायिक मामले उनके बेंच को आए जिसमें एक प्रमुख अडानी ग्रुप का नाम अक्सर लिया जाता है। अपने कार्यकाल दौरान इस कम्पनी से सम्बन्धित जितने केस की सुनवाई की गई उन सब में कम्पनी के पक्ष में फैसला देखा जा सकता है, यहां तक कि अपने कार्यकाल के अंतिम दिन राजस्थान सरकार को 3000 करोड़ का क्षति पूर्ति अडानी समूह को देने का आदेश देते हैं।
खैर! अंत में अब जब वें रिटायर हो चुके हैं तो अवमानना ना होने की संभावना का लाभ लेने के लिए माफी चाहूंगा। न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने वाले एक आम भारतीय के तौर पर “आशा करता हूं कि जस्टिस मिश्रा ताउम्र स्वस्थ और सुखी रहें, जिस तरह अब तक सुफल और नेमतें मिलती रही वो आगे भी मिलती रहें। मैं भगवान महाबलेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपको आत्मावलोकन और अन्तःकरण को टटोलने की शक्ति प्रदान करें”
Adieu अलविदा……