
अररिया बलात्कार पीड़िता से संबंधित खबर मे किया गया निजता कानून उल्लंघन का अपराध
शनिवार 10 जुलाई को हिंदुस्तान और प्रभात खबर में बलात्कार पीड़िता से जुड़े खबर में पीड़िता के निजता का उल्लंघन किया गया है जो भारतीय दंड संहिता 228A अधिनियम के तहत एक अपराध है, इस अधिनियम के अनुसार किसी खबर/ जानकारी/सूचना के आड़ मे पीड़िता की पहचान जाहिर नहीं किया जा सकता तथा इसमे दो वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों सजा के तौर पर दिया जाता है।
9 जुलाई शुक्रवार शाम 7.30 बजे मैजिस्ट्रैट के समक्ष बयान दर्ज करवाने के दौरान पीड़ीता और उसके साथ गई दो सहयोगियों पर अनुशासनहीनता और कोर्ट के अवमानना के आरोप मे पुलिस हिरासत मे और वहाँ से न्यायिक हिरासत मे भेज दिया गया है, पीड़ित के साथ न्यायिक हिरासत मे भेजी गई दोनों सहयोगी कल्याणी और तन्मय स्थानीय मजदूर संगठन जन जागरण शक्ति संगठन से संबंधित है। अगले दिन पीड़ित और दोनों सहयोगी का चारित्रहनन करने के उद्देश्य से एक मनगढ़ंत कहानी देश के दो प्रमुख अखबार मे छापा जाता है, एक साजिश के तहत उनकी वैधानिकता को संदेहास्पद बनाने की कोशिश मे मीडिया को देखना दुर्भाग्यपूर्ण है।
इन खबरों को सारे नियम ताक पर रख कर गढ़ा है की मीडिया का कोई नया छात्र भी इसके वैधानिकता पर सवाल कर देगा। जिस जन जागरण शक्ति संगठन का जिक्र खबर मे प्रमुखता से कई बार हुआ है और उसकी टिप्पणी लिए बिना ही समाचार प्रेषित करना पत्रकारिता के आधारभूत सिद्धांत के विपरीत है। ऐसे एक पक्षीय खबर की विश्वसनीयता केवल पेड न्यूज की होती है। किसी खबर को छापने से पहले दोनों पक्षों सूचित करना आवश्यक होता है।
इस खबर को पेड न्यूज माने जाने की पुष्टि किया जा सकता है। साल 2010 मे पेड न्यूज के पैटर्न और प्रभाव को सामने लाने के लिए प्रेस काउन्सल ऑफ इंडिया द्वारा एक कमेटी बना था जिसका काम मुख्यतः पेड न्यूज और उसके पीछे होने वाले अवैध डील पर रिपोर्ट तैयार करना था। इस रिपोर्ट मे पेड न्यूज के कई पैटर्न चिन्हित किए गए है। सीधे शब्दों मे कहें तो पैसे, प्रॉपर्टी, शेयर या किसी तरह के लाभ के बदले छापा गया विज्ञापन जिसे समाचार के तरह लिखा गया हो वह पेड न्यूज की श्रेणी मे रखा गया है। इस तरह के खबरों मे सूचना के नाम पर एजेंडा होता है जिसका मकसद किसी खास वर्ग, समुदाय या पाठकों के बड़े वर्ग को प्रभावित करना है।
इस खबर के पीछे की कहानी जानने के लिए थोड़ी छानबीन मे एक बात यह निकल कर आ रही है की इन खबरों को कुल तीन कथित पत्रकारों ने आपस मे मिलकर तैयार किया है। पेड न्यूज के एंगेल पर भी कुछ ऐसी जानकारियाँ मिली है जो समाचार के लिए डील की ओर काफी मजबूती से इशारा कर रहें हैं। शुरुआती जानकारी के आधार पर अगर यह सच पाया जाता है तो इसके पीछे एक बहुत ही सोची समझी साजिश के पर्दाफाश होने की संभावना है। इस खबर की पुष्टि होते ही लेख मे अपडेट कर दिया जाएगा।
रेप केस की रेपोर्टिंग पर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इसी साल हैदराबाद गैंग रेप पीड़ित की निजता का उल्लंघन करने के मामले पर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए नाराजगी व्यक्त किया था और प्रेस काउन्सल ऑफ इंडिया को ऐसे मामलों पर सख्त कार्यवाही करने का आदेश दिया गया था। लेकिन मीडिया के रवैये को देख लगता है ऐसी चेतावनियों से कोई फर्क ही नहीं पड़ा। मुझे लगता है कि अब ऐसे चेतावनियों से आगे बढ़ते हुए इन पर आपराधिक मामले दर्ज किया जाना चाहिए, तथा माननीय अदालत से फास्ट ट्रैक सुनवाई की मांग किया जाए। क्योंकि बिना सख्त उदाहरण स्थापित किए ऐसे बेहूदगी पर अंकुश लगाए जाने के आसार दूर तक नहीं दिखते।
जन जागरण शक्ति संगठन के तरफ से इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच करने की मांग की है तथा इसके लिए न्यायलय का दरवाजा खटखटाएंगे।